8वींअनसूची म कोनो भी भासा ल लाय के मापदण्ड काय हावय, ये ह एक प्रस्न आय। 8वीं अनुसूची म कोनो भी भासा ल जाए बर ओखर पोट्ठ होना जरूरी हावय। राज्य के जनसंख्या या फेर भासा के बोलइया मनखे के संख्या ऊपर निरभर रहिथे। छत्तीसगढ़ ले कमती जनसंख्या अउ छेत्र वाला राज मणिपुर म मणिपुर भासा अउ कोकणी भासा सन् 1992 म 8वीं अनुसूची म आगे। सन् 2003 म बोडो अउ मैथिली 8वीं अनुसूची म आगे जबकि येखर अलग राज नइए। फेर छत्तीसगढ़ी काबर नहीं? 8वीं अनुसूची म आये बर कतेक बाट जोहय।
छत्तीसगढ़ भासा के बियाकरन हिन्दी के बियाकरन ले पहिली बने हावय। बियाकरन के संग-संग 1885 ले लेखन के सुरुआत होईस, कुछ बने साहित्य अइस फेर लेखन रुक गे। लिखित म लेखन न होके वाचिक रूप म बहुत अकन कथा कहिनी नाटक होईस। छत्तीसगढ़ राज बने के बाद लेखन म तेजी अइस। अधिकतर कविता लेखन होइस। गीत साहित्य के एक अंग आय फेर पूरा साहित्य गद्य ऊपर निर्भर रहिथे। महिला लेखन म तेजी अइस। कविता लेखन होवय या फेर मंच म कविता पाठ सब जगह महिला मन अपन इस्थान बनावत हावयं। आज गद्य लेखन म बहुत अकन महिला मन जुरे हावयं। अइसे लगथे के छत्तीसगढ़ी लेखन म महिला मन के लेखन जादा हावय। खण्ड काव्य, उपन्यास, कहिनी, निबंध, व्यक्तित्व चित्रण, पर्यटन, यातरा वृत्तांत सब कुछ लिखत हावयं। 8वीं अनुसूची बर जब पोट्ठ साहित्य ल देखे जाही तब महिला मन के साहित्य कुछ जादा होही। गाँव-गाँव म लेखन होवत हावय। फेर मंच के कमी अउ प्रकासन के समस्या के कारन पीछू हो जथे। अभी राजभासा के माई कोठी म पुस्तक के सकेला होवत हावय। प्रकासन बर अनुदान घलो मिलत हावय। ये समस्या खतम होगे हावय।
”हमारा छत्तीसगढ़” किताब लइका मन पढ़त रहिन हें। जेखर ले सहर के लइकामन घलो छत्तीसगढ़ी सीखत रहिन हें। आज छत्तीसगढ़ी कुछ पाठ के रूप म इस्कूल म पढ़त हावयं। येखर अलावा एक प्रयास प्रौढ़ सिक्छा म होय हावय। राज्य संसाधन केन्द्र रायपुर हिन्दी प्राइमर आखर झांपी के बाद छत्तीसगढ़ी म ”गुड़ी के गोठ” निकाले हावय। जेखर लेखन ले मैं जुरे रहेंव। महिला साक्छरता दर बढ़ाए के प्रयास म आज गाँव-गाँव म हिन्दी के बाद छत्तीसगढ़ी प्राइमर पढ़े जाही। येखर ले वाचिक साहित्य लिखित रूप म आही। आज भी साक्छर होय के बाद गाँव-गाँव के महिला मन अपन गीत अउ संस्मरन ल दीवार अखबार म लिखथें। ये साहित्य सबके सामने नई आय फेर राज्य संसाधन केन्द्र म देखे जा सकथे।
जब हमर छत्तीसगढ़ी भासा म अतेक काम होवत हावय तब 8वीं अनुसूची म काबर नहीं। सन् 1885 म छत्तीसगढ़ी बियाकरन लिखना, 1975 ले आकासवाणी अउ दूरदरसन ले कहानी वार्ता एवं लोक नाट्य के प्रदर्सन, छत्तीसगढ़ी म फिलिम निरमान के अलावा आजादी के पहिली लिखे अउ मंचन करे नाटक, गीत ल नजरअंदाज नई करे जा सकय। ये ह भासा के विस्तार ल दर्साथे। 8वीं अनुसूची बर अतेक मापदण्ड बहुत हावय। येखर अलावा सब्दकोस तइयार हावय। कामकाज बर प्रसासनिक सब्दकोस तइयार हावय। पत्र-पत्रिका म परकासन होवत हावय। 40-50 बछर जुन्ना आय ”छत्तीसगढ़ सेवक” अउ ”देशबन्धु के मड़ई”। भासा कतका पोठ हावय ये बात सबके आगू म हावय।
महिलामन म लेखन के छमता जादा दिखत हावय। अब येमन ल अपन लेखन के गति ल बढ़ा देना चाही। साहित्य के अइसना ढेरी बनना चाही जेन ल दिल्ली के मन दिल्ली म बइठ के देख संकय, अउ 8वीं अनुसूची म छत्तीसगढ़ी ल रखे बर स्वयं दउंड़त आवयं।
सुधा वर्मा
देशबंधु ‘मडई’ ले साभार